उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक छोटे से परिसर में बने तीन कमरों में तीन अलग-अलग प्राइमरी स्कूल संचालित होते आपको दिख जाएंगे और वह भी कक्षा 1 से लेकर 5 तक यानी प्रत्येक स्कूल में एक से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं चलती है। वह भी एक ही कमरे में एक साथ, कहीं पर एक ही टीचर इन पांच कक्षाओं एक साथ पढ़ा रही है तो कहीं दो टीचर इन को पढ़ाती हैं और ऐसा एक परिसर में नहीं है। कई परिसर ऐसे हैं, जहां पर एक ही साथ अलग-अलग कई स्कूल एक-एक कमरे में संचालित हो रहे हैं। साथ ही इन स्कूलों में पंजीकृत छात्रों की संख्या के हिसाब से कमरे में बैठने के लिए स्थान तक उपलब्ध नहीं है। यह हाल तब है जब उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह अलीगढ़ से आते हैं। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक कमरे में कक्षा एक से पांच तक की क्लास एक साथ चलती हो तो ऐसे देश के बच्चों का भविष्य क्या होगा। सबसे पहले हम आपको अलीगढ़ के बेला मार्ग स्थित एक परिसर में बने 3 स्कूलों के बारे में बताते हैं। यहां एक ही छोटे से परिसर में बने तीन कमरे और एक बरामदे में बालक प्राथमिक विद्यालय नंबर 29, बालक प्राथमिक विद्यालय नंबर 44, और कन्या प्राथमिक विद्यालय नंबर 41 संचालित होता हुआ मिला। यानी तीनों स्कूलों के लिए एक एक कमरा अलॉट था।हमने सबसे पहले बालक प्राथमिक विद्यालय 44 की अध्यापिका ममता गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि यह बालक पाठशाला संख्या 44 है। उसमें दो स्कूल और चल रहे हैं बालक पाठशाला संख्या 29 और कन्या पाठशाला 41, हमारे यहां स्कूल कंबाइंड करके बच्चों को पढ़ाते हैं। एक ही रूम में नहीं है केवल 4 ही कमरे हैं उस हिसाब से हम मैनेज करते हैं किस तरह से बच्चों को बैठाना है। हमने उसके बाद दूसरे कमरे का रूख किया। यहां बालक पाठशाला नंबर 29 की अध्यापिका ने बताया कि इस कैंपस में तीन स्कूल चल रहे हैं। बालक पाठशाला संख्या 44, कन्या पाठशाला नंबर 41 और बालक पाठशाला नंबर 44, टोटल 200 बच्चे हैं। 4 कमरे हैं तो चारों के अंदर अलग-अलग क्लासें चलती है। अभी हमारे यहां काम चल रहा है इसीलिए हमने एक एक कमरे में शिफ्ट कर रखा है। अभी सामान हमारा भरा हुआ है। लेबर आ नहीं रहे है। एक ही रूम में पढ़ाई नहीं करते। आधे बाहर बैठते हैं और आधे बच्चे क्लास में पढ़ते हैं। हमने ग्रुप बना रखा है। कक्षा 1 व 2 का एक ग्रुप बना रखा है उनको बाहर लेकर मैं बैठ जाती हूं। जो हैड मैडम है वह अंदर बैठती हैं वो कक्षा 3, 4, 5 के बच्चों को लेकर। हमने स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची से बात की। उसने बताया कि फोर्थ क्लास की छात्रा हूँ । बालक पाठशाला संख्या 29 में पढ़ती हूं। फर्स्ट और सेकंड के बच्चे बाहर बैठते हैं, बेंच पर और थर्ड फोर्थ के बच्चे अंदर बैठते हैं ग्रुप में, एक ही रूम में तीन चार पांच क्लास के बच्चे ग्रुप बना कर बैठते हैं।
उसके बाद हमने यहां से थोड़ी दूर पर एक अन्य स्कूल कन्या पाठशाला संख्या 27 की ओर रुख किया। वहां बिल्डिंग की हालत जर्जर थी। एक ही कमरे में खाने का सामान रखा हुआ था साथ ही उसमें कुछ बच्चियां और 2 टीचर भी मौजूद थी। यानी कि एक ही कमरे में जहां पर खाना बनाया जाता था और उसी कमरे में बच्चों की पढ़ाई भी कराई जाती थी। हमने जब वहां की टीचर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर जवाब देना मुनासिफ नही समझा।हमने एक परिसर में तीन तीन स्कूल संचालित होने की बात जब अलीगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार से की तो उनका कहना था कि देखिए ऐसा है कि हमारे यहां नगर क्षेत्र में 110 विद्यालय हैं। जिसमें कुछ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। कुछ स्कूल एक ही केम्पस में कई कई स्कूल इसलिए चल रहे हैं कि उनका सेविलियर नहीं हुआ है। अब नया सत्र स्टार्ट हो गया है और हमारी कार्य योजना बन गई है। जो एक ही कैंपस में स्कूल है उनको मर्ज कर दिया जाएगा। वह एक ही स्कूल के रूप में संचालित होगा। पहले यहां पर एनजीओ के जरिए खाना दिया जाता था, हमारे यहां किचन सेट का निर्माण नहीं था। शासन से डिमांड की जा रही है कि हमारे यहां रसोई घर बनाने के लिए प्रपोजल दिया है। आने वाले समय में जो निर्देश प्राप्त होगा किचन सेट भी बनेगा और एक ही कैंपस में जो कई स्कूल है प्राइमरी जूनियर उन सब को मर्ज करने की कार्यवाही की जाएगी और जल्दी से समस्या का समाधान हो जाएगा। इसको हम कार्यवाही कर रहे हैं अभी सेशन बीच में चल रहा था इसलिए डिस्टर्ब नहीं किया अब हम जल्दी से जल्दी कार्रवाई करेंगे। जहां पर टॉयलेट नहीं है या किराए की बिल्डिंग में टॉयलेट नहीं है, वहां पर धनराशि वापस आ गई है। उसके लिए व्यवस्था की जा रही है। नगर निगम के माध्यम से उनको टॉयलेट का निर्माण कराया जाएगा।
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