भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती तब तक किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे। टिकैत मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आज से शुरू हुए अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित कर रहे थे। शाम के समय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी धरना स्थल पर पहुंचे और राकेश टिकैत से वार्ता की,लेकिन धरना समाप्त करने पर कोई सहमति नहीं बन सकी। मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन का अनिश्चितकालीन धरना शनिवार से शुरू हुआ। धरने पर बड़ी संख्या में यूनियन पदाधिकारी और किसान पहुंचे और उन्होंने मैदान में अपने तंबू गाड़ दिए। धरने पर किसान परंपरागत हुक्का गुड गुड़ाते दिखाई दिए। धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने किसानों से इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। किसान सतवीर मूंछ ने सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरा सतवीर की मानें तो सरकार सिर्फ किसानों के साथ ही नहीं आमजन के साथ भी चल कर रही है। वहीं शाम के समय एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह के नेतृत्व में एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय एसपी देहात अतुल श्रीवास्तव नगर मजिस्ट्रेट अनूप श्रीवास्तव व विद्युत अधिकारी धरना स्थल पहुंचे और राकेश टिकैत से वार्ता की लेकिन धरना समाप्त करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी। वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक किसानों के गन्ने बकाए का भुगतान नहीं होता गन्ना मूल्य घोषित नहीं होता तब तक धरना जारी रहेगा। चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया था और अब टीयूब वेलो पर मीटर लगाए जा रहे हैं, इसे किसान बर्दाश्त नहीं करेगा।उन्होंने कहा कि ट्यूबवेलो से मीटर उतारकर विद्युत विभाग में जमा कराए जाएंगे। जब राकेश टिकैत से पूछा गया कि इस बार धरना स्थल पर ट्रैक्टर ट्रॉली के बजाय कारो की संख्या ज्यादा दिखाई दे रही है तो उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि गाड़ी से आने वाला 3 या 4 घंटे का आंदोलनकारी होता है। बस से आने वाला 8 घंटे का और ट्रैक्टर ट्रॉली से आने वाला 24 घंटे का आंदोलनकारी होता है। मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान अब एक तंबू नगरी के रूप में नजर आने लगा है, राकेश टिकैत ने भी जीप में बैठकर मैदान का भ्रमण किया।धरने पर मौजूद किसानों का मूड देखकर तो नहीं लगता कि वह कोई बीच का रास्ता चाहते हैं,किसानों का तो दो टूक कहना है कि इस बार लड़ाई आर-पार की होगी।
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