सड़कों पर अधिकांश घूमते हुए गोवंश दिखाई देते हैं, तो वही खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाने में भी आवारा अन्ना जानवरों का बड़ी अहम भूमिका रहती है, जो कि किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सरकार की मंशा के अनुरूप निराश्रित गोवंश के लिए गौशाला तो बनाई गई है, लेकिन कहीं ना कहीं लापरवाही अनदेखी के साथ-साथ अन्य कारणों की वजह से गोवंश सड़कों पर घूमते हुए दिखाई देते हैं। साथ ही साथ किसान की नजर चूकी तो खेतों की फसल चट कर जाते हैं। किसान के लिए फसल को बचाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी विशेष इंतजाम के साथ नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए गौशाला में और निराश्रित गोवंश के लिए अपनी मंशा साफ कर दी है। जिससे इटावा जनपद में नगर विकास विशेष सचिव अमित कुमार जनपद की विभिन्न गौशालाओं में निरीक्षण करने पहुंचे, जहां उन्होंने सर्दी से गोवंश को बचाने, उनके चारे की व्यवस्था के साथ-साथ कमियों को कैसे दूर किया जाए और निराश्रित आवारा घूम रहे पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाया जाए। इन सभी विषयों पर निर्देश भी दिए हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों का आरोप है कि जिस तरह से खेतों में मेहनत करके आलू, सरसों, गेहूं की फसल उगाई है, तो वहीं आवारा गौवंशो से सुरक्षा व्यवस्था भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। पूरा प्रयास करके जो अन्ना जानवर घूम रहे हैं, इनको गौशालाओं में पहुंचा देते हैं,तो वहीं बाद में गौशाला वाले इनको छोड़ देते हैं, क्योंकि इनको खिलाने के लिए कहीं ना कहीं बजट की कमी होती है, और संख्या से अधिक गोवंश पहुंच जाते हैं। इसलिए रात भर जाग कर अन्ना जानवरों से अपनी फसलों को बचाना होता है। जिलाधिकारी अवनीश राय ने बताया कि जनपद में 74 गौशालाएं संचालित हैं। जिनमें 10300 से अधिक पशु संरक्षित किए गए हैं। शासन के निर्देशानुसा 31 मार्च तक सभी निराश्रित गोवंश को गौशालाओं में संरक्षित किया जाएगा और सरकार के इस निर्देश पर शक्ति से इसको लागू कर लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।
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