योगी सरकार छुट्टा पशुओं पर लगाम लगाने के लिए सभी जिलों में अरबों रूपये की लागत से सैकड़ों गौशालाओं का निर्माण तो करा दिया। लेकिन बावजूद इसके जहां देखो वहां पर छुट्टा पशु. नजर आ रहे हैं फिर चाहे वह खेत हो,या सड़क,स्कूल हो या अस्पताल,या फिर कूड़े का ढेर हर जगह छुट्टा पशुओं का झुण्ड मंडराते हुए नजर आ जाएंगे। तो वहीं शहरों में सांडों के कुश्ती का दंगल होना एक आम बात हो चुकी है। बता दें कि गोंडा जिले में स्थायी व अस्थायी मिलाकर 91 गौशालाएं बना दी गयी और गौशालाएं बनने पर अन्नदाताओं को जो उम्मीदें जगी थी,उसपर पूरी तरह से पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि किसानों की फसलों को छुट्टा जानवर आज भी तबाह कर रहे हैं,और इन्ही छुट्टा पशुओं की वहज से आये दिन सड़को पर हादसे हो रहे हैँ जिससे लोगों की जान जा रही हैँ। वहीं छुट्टा पशुओं को लेकर जहाँ किसान पूरी रात जगकर अपनी फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहा है, तो वहीं जिम्मेदार अधिकारी गैर जिम्मेदार और मुकदर्शक बनकर बेबशी की बात कर रहे हैँ। जिसका जीता जागता उदाहरण इटियाथोक ब्लॉक में देखने को मिला, जहाँ आवारा पशुओं से परेशान होकर सैकड़ों किसानों ने छुट्टा गोवंश को पकड़कर इटियाथोक ब्लॉक में बांध दिया और गांव के तमाम लोग ब्लॉक मुख्यालय पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। किसानों का कहना था कि छोटा जानवर दिन-रात खेतों को तबाह कर रहे हैं और इसकी शिकायत जब संबंधित अधिकारी को दी जाती है तो वह गौशाला में जगह न होने की बात करने लगते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि सीएम योगी के आदेशों को गौशालाओं के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारी कब अम्लीजामा पहनाते हैं और छुट्टा पशुओं से किसानों की दहन हो रही फसलों व सड़क दुर्घटना पर हो रही दुर्घटनाओं पर कब लगाम लगेगा या फिर जिले की गौशालाएं महज हाथी का दाँत बनकर रह जाएंगी ।
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