मौसम में बदलाव के बाद ठिठुरन बढ़ने लगी है और जरूरतमंद लोग ठिठुरने के लिए मजबूर हैं। प्रशासन ने इस बार सर्दी को लेकर रैन बसेरा बनाने की व्यवस्था ही नहीं की है। और न ही कोई हेल्पलाइन नंबर अब तक जारी किए गए हैं। प्रशासन पहले नगर पालिका में रैन बसेरा की व्यवस्था करता है। वहीं बस स्टैंड पर जहा अलग अलग जगह से आए यात्री बस का इन्तज़ार कर रहे है, ऐसे यात्रियों के लिए इस ठिठुरन ठंड से बचने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं दिखा।वहीं रेल्वे स्टेशन पर टिकट आरक्षण के बाहर पेड़ के नीचे लोग पतली कंबल का सहारा लेकर रात काट रहे है। अब ऐसे मे भला इस ठिठुरन ठंड मे लोगों को नींद आए भी तो कैसे यहां पर भी ना रैन बसेरा दिखा और ना ही अलाव। वहीं जब जिला अस्पताल पर भी चिराग तले अंधेरा नजर आया उसके बाद रानी बाजार मे राहगीर और कुछ रिक्शा चलाने वाले लोग पन्नी काग़ज़ जलाकर ठंड से बचने जतन करते हुए दिखाई दिए, गुरु नानक, चुंगी नाका, गुड्डूमल चौराहा, पीपल चौराहा,मनकापुर बसस्टैंड जैसे कई जगहों पर रात भर ड्यूटी करने वालीं पुलिस अपने जेब मे हाथ डालकर खड़े दिखे अब ऐसे मे इस डंड से राहत मिलने के लिए करे भी तो क्या करें। मजबूरी और नगर पालिका की बेरुखी, के कारण लोगों को अच्छा खासा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं ठंड में जरूरतमंद खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। दूर-दूर तक रैन बसेरा नहीं दिखा ठिठुरन ठंड से बचने के लिए शहर मे कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं दिखा ठंड से जूझ रहे लोग कहीं पन्नी,तो कहीं काग़ज़ जलाकर ठंड से बचने का सहारा ले रहे है। रोज मर्रा के काम करने वाले लोग जो हर रात फुटपाथ पर गुजारते है। वो लोग जो कहीं दूसरे जिले जाने के लिए आए हुए वो लोग जो चौराहों पर रात भर जागकर नौकरी करते है वो गरीब जो रात मे रिक्शा चलाता है, जिसका आशियाना फुटपाथ हो वो कैसे इस ठिठुरती ठंड से बचे।जहा लोग इस ठिठुरन ठंड पर मोटी मकमल कंबल मे लिपट कर सो रहे है,वहीं दूसरी तरफ हजारों लोग खुले आसमान मे ठिठुरती ठंड की मार झेल रहे है।
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