उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में बढ़ते जबरन धर्मांतरण के मामलों को देखते हुए सख्त कानून बनाया था। सरकार ने जब जबरन धर्मांतरण को लेकर 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी तो लगा कि अब धर्मांतरण के मामलों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, लगातार धर्मांतरण के जैसे मामले सामने आते रहते है, और पुलिस प्रशाशन की लचर कार्यशैली के चलते पीड़ित दर दर भटकते रहते है। साथ ही बताते चले पूरा मामला बांदा जनपद के थाना कोतवाली देहात से सामने आया है। जहां नाबालिक युवती जब सौच के लिए जा रही थी। तभी घात लगाए बैठे युवक ने मुंह दबा मोटरसाइकिल में बैठा लिया और बस्ती जिला ले गए। जहां धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाने लगे और युवती का शारीरिक शोषण भी किया गया, और चीखने चिलाने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी। वहीं सूचना मिलने पर पहुंचे परिजन ने स्थानीय पुलिस द्वारा पीड़िता को घर ले आए। वहीं विश्व हिंदू परिषद के बांदा जिला अध्यक्ष चंद्र मोहन बेदी ने बताया की जनपद में धर्मांतरण का ये कोई पहला मामला नही है, इससे पहले भी धर्मांतरण के मामले सामने आ चुके है। बता दें कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी धर्मांतरण जैसे मामले में पुलिस लगाम नहीं लगा पा रही है। अब तक 20 से 22 मामले जनपद में हो चुके है। उन्होंने प्रशासन से मांग की, कि इस मामले में धारा 376 और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए, अन्यथा की स्तिथि में विश्व हिंदू परिषद और आगे तक जाएगा और पीड़ित को न्याय दिलाएगा।
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