उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अन्ना जानवरों के रखरखाव और उनके खाने-पीने की व्यवस्थाओं के लिए कई तरह के आदेश जारी हुए, लेकिन सारे आदेश कहीं ना कहीं कागजों पर ही सीमित रह गए। जमीनी स्तर पर आज भी बेजुबान भूख से तड़प रहे है, और अपनी भूख मिटाने के लिए जमीन की मिट्टी और कूड़ा कचरा खाने पर मजबूर है। लाखों का बजट पास होने के बाद भी गायो की ऐसी स्थिति दैनीय है। ऐसे में सवाल उठता है कि गौ वंशों के रक्षा बजट से किसका पेट भरा जा रहा आखिर इन बेजुबान जानवरो की इस बदहाली जा जिम्मेदार कौन है।बता दें कि बांदा जनपद से जुड़े लामा ग्राम पंचायत की जो बड़ोखर ब्लाक अंतर्गत आता है। जहां स्थित स्थाई गौशाला में 300 से अधिक गौवंश मौजूद है। जहा उनके रहने के लिए न तो छाया है, ना पीने के लिए पानी और तो और उनके खाने के लिए सिर्फ सूखा भूसा है। वो भी भर पेट नही मिल पा रहा। वहीं गायें भूख से तड़प रही है और अपनी बदहाली पर रो रही है। जबकि उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रति गाय 30 रुपया रोजाना दिया जाता है। उसके बावजूद गायों की दुर्दशा बद से बद्तर है। फिलहाल लंपि वायरस का प्रकोप चल रहा है, गायों की मृत्यु हो रही है गौशाला में भी आधा दर्जन से ज्यादा गाएं लंपी वायरस से पीड़ित है। डॉक्टर को सूचना के बाद भी रोजाना इलाज नहीं हो पा रहा है। डॉक्टर कभी 2 दिन में पहुंचते है और खाना पूर्ति करके चले आते है। ऐसे में क्या इसी तरह बेजुबान जानवरो की दुर्दशा होती रहेगी या गौरक्षा का दम भरने वाले योगी सरकार के अधिकारी इस पर कुछ एक्सन लेंगे, इन गायों के प्रति कोई कदम उठाएंगे।
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