जिले में चल रहें अवैध अस्पतालों में हो रही मौतो का जिम्मेदार कौन।

जौनपुर जिले में पिछेल माह अवैद्य रूप से चल रहे प्राइवेट नर्सिंग होम के डाक्टरों की लापरवाही से आधा दर्जन बेगुनाह मरीजों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमे ने अभी तक नही चेता है। इसी को लेकर जब प्राइवेट नर्सिंग होम का निरीक्षण किया गया जिसमें कोहिनूर नर्सिंग होम के एक डाक्टर जो एक अस्पताल चला रहे है। जिसके एक डाक्टर आर. के. जैसवार द्वारा ओपीडी की जा रही थी। जब जांच करा रहे मरीज ने पूछा कि डाक्टर साहब आपकी डिग्री क्या है। जिस पर डाक्टर साहब बंगले झांकते नजर आए। वहीं जब इस मामले पर सीएमओ को फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा जिसके बाद एडिशनल सीएमओ को फोन किया गया तो उनका फ़ोन तो उठा लेकिन जवाब कुछ संतुष्टि जनक नही मिला। जब उन्हें अस्पताल का नाम बताया गया तो उन्होंने ऐसे रिएक्ट किया जैसे उन्होंने यह नाम पहली बार सुना हो। वहीं 24 घण्टे से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी आज जब सीएमओ कार्यालय में एडिशनल सीएमओ साहब से बात की गई तो उन्होंने फिर वही रटा रटाया जवाब आपके द्वारा मामले की जानकारी दी गई, इसकी जांच कर आपको सूचना दे दिया जायेगा। इससे पहले कुछ और बात चीत की जाए जनाब कुर्सी छोड़ कमरे से बाहर निकल गए। गौरतलब है कि ये हाल है उन जिम्मेदारों का जिनके कंधे पर जिले के सभी अस्पतालों के जांच का जिम्मा है उनके इतने गैर जिम्मेदाराना रवैया के बाद बेगुनाह मरीज किसके भरोसे जाए और दवा कराए।जिले के नगर क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की मंडी सी लगती है, हां ये नजारा शहर के व्यस्ततम इलाके में जैसे पालीटेक्निक चौराहा,नईगंज,जिला अस्पताल के आसपास सैकड़ो अस्पताल है। जो बगैर मानक व रजिस्ट्रेशन से स्वास्थ्य विभाग की कृपा से चल रहे है।
ऐसे ही एक अस्पताल का निरीक्षण किया गया जिसकी शिकायत कुछ दिनों से मिल रही थी। बता दें कि उस अस्पताल का न तो रजिस्ट्रेशन है न तो उस अस्पताल के मेडिकल स्टोर का लाइसेंस है। बड़ी बात यह है कि जो डॉक्टर साहब ओपीडी कर रहे थे,उनका नाम आर के जैसवार हैं। आप अब इनका दवा का पर्चा देखेगे तो आप और हैरत में पड़ जायेगे इनके पर्चे पर न ही इनकी डिग्री है न ही इनके अस्पताल का पंजीयन जिला स्वास्थ्य विभाग में भी नही है। और यही नही इनके अस्पताल के मेडिकल स्टोर का भी पंजीयन भी नही हैं। अब सवाल यह उठता है ऐसे अवैद्य अस्पताल नगर क्षेत्र में किसकी कृपा पर चल रहा है और नगर में डॉक्टरों की लापरवाही से मौतों का आखिर जिम्मेदार कौन होगा और खबर चलने के बाद क्या स्वास्थ विभाग जागता है या फिर जौनपुर की जनता को स्वास्थ्य विभाग के सिर्फ कोरे आश्वासन से ही संतोष करना पड़ेगा। वहीं मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ लक्ष्मी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में लाया गया है। जिसके लिए टीम का गठन कर दिया गया है। जांच में अगर अस्पताल गलत पाया जाएगा तो उसके ऊपर कार्यवाही की जाएगी। इस तरह का बयान ही स्वास्थ्य महकमे को सवालों के घेरे में खड़ा करता है कि नगर में इस तरह के अस्पताल चल रहे हैं जिसके लिए मीडिया के द्वारा जानकारी हो रही है, और उसके बावजूद भी सीएमओ कहती हैं कि इस मामले का संज्ञान मीडिया के द्वारा कराया जा रहा है। जिसकी जांच कर कार्यवाही करेंगे। एडिशनल सीएमओ राजीव कुमार यादव से भी बात करने का प्रयास किया गया तो राजीव कुमार भी इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए नजर आये, वहीं जब एडिशनल से इस अस्पताल के बारे जानकारी लेने का प्रयास किया तो उन्होंने ने भी जांच की बात कही जबकि जिले में अस्पतालों के निरीक्षण के लिए एडिशनल सीएमओ राजीव कुमार यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई।

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