सरकार तो रोजगार के नाम पर बड़े-बड़े दावे करती है,लेकिन ग्रामीण इलाकों मे आज भी लोगो के लिए विकास किस चिढ़िया का नाम है,मुहावरा फिट बैठता है। सरकार बड़े-बड़े निवेशकों को रिझाने के लिए बड़े-बड़े आयोजन करती आ रही है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण अंचल मे लोगों को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है। वर्ष 1990 में उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस सरकार के द्वारा ग्रामीण इलाकों में रोजगार की देने के प्रयास में औद्योगिक आस्थान के लिए भूखंड आवंटित किए गए थे, जिसमें कानपुर जनपद के ककवन विकासखंड क्षेत्र के लोधन पुरवा गांव में भी कई सैकड़ा भूमि को औद्योगिक लघु उद्योग के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन 40 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी स्थानीय लोगों को रोजगार की दरकार है। 40 साल में केवल यंहा पर सरकार की ओर से इतना काम कराया गया है। कि डामर की सड़क बनवाकर इंटरलॉकिंग और नाली बना दी गई और जबकि सारी मूलभूत सुविधाए आज भी वंहा पर मौजूद नहीं है। सरकार द्वारा नोएडा,लखनऊ,कानपुर, आगरा महानगर जैसे शहरों में उद्योग लगाने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में पड़े औद्योगिक भूखंडों में उद्योग लगाने के लिए कोई भी सरकार या अफसर आगे नहीं आ रहे है। बता दें कि यूपीसीड़ा को यह भूमि आवंटित की गई थी, कि यहां पर लघु उद्योग की स्थापना करा कर लोगों को गांव में ही रोजगार दिया जा सके। लेकिन स्थानीय कर्मचारी व अफसरों लापरवाही के चलते आज तक एक भी उद्योग की स्थापना औद्योगिक स्थान पर नहीं हो पाई है। जिससे लोगों की उम्मीदें धूमिल हो रही है। बता दे 14 साल बाद सत्ता में लौटी भाजपा सरकार से क्षेत्र लोगों को लघु उद्योग स्थापना कराने की बहुत उम्मीद थी। लेकिन 5 वर्ष पहले कार्यकाल के बीत जाने के बाद भी केवल यंहा पर सड़क और इंटरलॉकिंग तक ही महज काम हो पाया और उद्योग आज तक एक भी नहीं लग पाए हैं। यह कानपुर जनपद की हालत तब है जब कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है। वहीं इसी जिले के पिछले कार्यकाल मे औद्योगिक मंत्री रहे सतीश महाना इसी जनपद से आते हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण अंचल में रोजगार लगवाने उद्योग की स्थापना कराने के लिए उन्होंने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए नतीजन लोग आज भी रोजगार पाने के लिए बड़े-बड़े महानगरों की ओर भागते है।
0 Comments