ख़बर यूपी के जनपद चंदौली से हैं।एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस के नीति पर काम कर रही है। योगी जी का साफ तौर पर कहना है कि ना खाएंगे और ना खाने देंगे। वहीं भ्रस्टाचारियों पर योगी सरकार का ताबड़तोड़ चाबुक भी चल रहा है। लेकिन सरकार के लाख कोशिश के बाद भी कुछ भ्रस्ट सरकारी नुमाइंदे धरल्ले से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार करने के बाद ये लोग आसानी से बच भी जाते हैं।
दरअसल पूरा मामला चकिया तहसील क्षेत्र के बरौझी गाँव का है। जहाँ रोजगार सेवक व प्रधान के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा जैसी मत्वपूर्ण योजना में जमकर भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है।
लेकिन अधिकारियों के उदासीनता चलते मनरेगा योजना का लाभ गरीबों को न मिलकर रोजगार सेवक व प्रधान को मिल रहा है। मस्टरोल और हाजिरी रजिस्टर देखने के बाद स्थिति साफ है, कि मनरेगा योजना से गरीबों की हालत में रत्ती भर सुधार होने वाला नहीं है। जब तक ऐसे लूटेरे प्रधान और रोजगार सेवक जिस गाँव विराजमान रहेंगे उस गाँव का भगवान ही मालिक है।
बता दें कि मनरेगा योजना के तहत चल रहे काम की हकीकत यह है कि बरौझी गाँव में मौके पर मजदूरों की हाजिरी रजिस्टर पर दर्ज की गई थी। हाजिरी रजिस्टर पर किसी दिन 25 मजदूर तो किसी दिन 27 मजदूरों की हाजिरी दर्ज थी। मौके पर मौजूद महिला मेठ पूनम के द्वारा मस्टरोल दिखाया गया तो पूरा मस्टरोल खाली था। एक भी मजदूर का मस्टरोल नहीं भरा गया था। जबकि मस्टरोल पर लेबर 88 मजदूरों का था। जबकि मौके पर मजदूरों की हाजिरी सुबह और शाम दोनो समय मस्टरोल पर ही भरनी है। वहीं मस्टरोल पर जितने मजदूरों डिमाण्ड लिखा है उतने ही मजदूरों से काम कराना है। हालांकि जिले के सभी गांवों का यही हाल है। इसकी बानगी हर गाँव में आपको देखने को मिल जाएगी कि किस तरह से प्रधान, सेक्रेटरी, और रोजगार सेवक त्रिस्तरीय कमेटी बनाकर सरकारी धन को लूटने का काम कर रहे हैं।वहीं जब मामले में खण्ड विकास अधिकारी रविन्द्र प्रताप ने बताया कि मामला मेरे सज्ञान है। मामले की जाँच के लिए त्रिस्तरीय कमेटी गठित कर दिया गया है। तीन दिन के अन्दर कमेटी अपना रिपोर्ट पेश करेगी। अगर मामला सही पाया जाता है तो सम्बंधित प्रधान, सेक्रेटरी व रोजगार सेवक पर कड़ी कार्यवाही किया जाएगा।
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