राम मंदिर निर्माण कार्य की गति तीव्र, चेयरमैन की अध्यक्षता में हुई बैठक।

खबर यूपी के अयोध्या जनपद से है। जहां मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। वही मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर हर महीने भवन निर्माण समिति के चेयरमैन की अध्यक्षता में बैठक होती है। बता दे कि आज बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि पिछले 70 सालों से श्री राम जन्मभूमि परिसर में स्थापित लोग जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं। उन मूर्तियों को श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा। साथ ही श्री राम की कितनी बड़ी और किस पत्थर से निर्मित मूर्ति की स्थापना की जानी चाहिए इसके बारे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा देशभर के संतो से राय ली जाएगी। 
दरअसल आज श्री राम मंदिर की बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों और उत्सव की मूर्तियों का फर्क समझा रहे हैं,वे बता रहे हैं कि कैसे भव्य और दिव्य राम मंदिर में मौजूदा मंदिर में मूर्तियां तो होंगी लेकिन वह प्राण प्रतिष्ठित नहीं होगी श्री राम की जिस मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा वह बिल्कुल नहीं होगी और बाल रूप की तो होगी लेकिन कितनी बड़ी और किस पत्थर से तैयार होगी इसके बारे में संतो से राय ली जाएगी।
वही साथ ही चम्पत राय (महासचिव श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ) कहते हैं कि मंदिरों का संचालन करने वाले सभी लोग जानते हैं। एक मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति होती है। वह अचल मूर्ति होती है स्थिर रहती है उसे हटाया नहीं जा सकता वह आकृति में बड़ी भी रहती है। दूसरी प्रतिमाएं चल प्रतिमा होती है। उन्हें उत्सव मूर्ति भी कह सकते हैं। किसी पूजा उपासना में उनको समुह से बाहर निकाल कर ले आया जाता है। इसलिए 70 साल से जिन प्रतिमाओं का जिन विग्रह का समाज पूजन कर रहा है। वह उत्सव मूर्तियों का रूप ग्रहण करती है। अपने देखा होगा बड़े मंदिर में प्रतिष्टित मूर्तियां और उत्सव मूर्तियां एक साथ रहती है एक ही सिंहासन पर ।
 बताते चले कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर में और कौन-कौन से मंदिर बनेंगे श्री राम मंदिर के अलावा वहां पर समरसता के समाज पर आधारित महर्षि बाल्मीकि , माता शबरी, निषाद राज, सीता का संदेश देने वाले और रावण को रोकने के प्रयास में जान देने वाले जटायु और माता सीता के साथ गणेश जी का भी मंदिर होगा। श्री राम मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग में इस पर विचार ही नहीं हुआ है बल्कि सहमति भी हो गई है । 
बता दें कि इस बैठक में 15 में से 14 ट्रस्टी उपस्थित थे। जिसमें चंपत राय (महासचिव श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट) को एक विचार यह आया है की परिसर में रामलला के मंदिर के साथ-साथ महर्षि बाल्मीकि का एक मंदिर बनना चाहिए। माता शबरी का एक मंदिर बनना चाहिए। निषाद राज का मंदिर बनना चाहिए। जटायु, का मंदिर माताजी का मंदिर गणेश जी का मंदिर बनना चाहिए इन बातों पर आज काफी चर्चा हुई है और लोगों ने सैद्धांतिक रूप से इसको स्वीकार किया है कहां बने कैसे बने इसकी चर्चा आगे चलेगी ।

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