हमीरपुर में यमुना और बेतवा दोनो रौंध रूप धारण किए है। और खतरे के निशान की तरफ अग्रसर है। नदियों का पानी अब नालों के जरिए गावों की तरफ बढ़ने लगा हैं। जिससे कुछ गांवों के रास्ता बंद होने के हालात बन गए हैं। तो वही नदी के किनारे किनारे बोई गई खरीब की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई है। जिसके सड़ने के आसार साफ तौर पर दिखाई दे रहे है। वही मुख्यालय के कुछ निचले स्थानों में पानी घुसना शुरू हो गया है जिससे स्थानीय लोग डरे हुए है।आपको बता दे की हमीरपुर में कभी भी इतनी बारिश नहीं हुई की यहां बाढ़ आ जाए। और इस बार तो औसत से और काम बारिश हुई है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी यहां बाढ़ जैसे हालात बने हुए है। यहां यमुना और बेतवा दोनों नदियों का जलस्तर 112 मीटर के पास पहुंच गया है। जिसकी वजह से नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों में पानी घुसने की संभावना बढ़ रहीं है। तो वही हमीरपुर मुख्यालय के निचले बस्ती वाले इलाके में पानी घुसना भी शुरू हो गया है, जिससे कुछ घर भी जलमग्न हो गए है। और नदी के किनारे बोई गई खरीब की फसल भी जलमग्न हो गई है। नदियों के बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए, जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को अलर्ट मोड़ पर रखा है। जो दोनों नदियों के बढ़ने के हर घंटे की रिपोर्ट प्रशासन तक पहुंचा रहे है। केंद्रीय जल आयोग की टीम भी दोनों नदियों के बढ़ रहे जलस्तर पर नजर बनाए हुए है। हर घंटे की रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को भेज रहा है। केंद्रीय जल आयोग की टीम अपने साथ अकोस्टलिक टॉकलर करेंट प्रोफाईलर मशीन लिए हुए है। जिसके जरिए वाटर डिस्चार्ज और विलोशिटी चेक कर रही है।
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