प्राथमिक विद्यालय खंडहर में तब्दील, मौत के साए में पढ़ने को मजबूर बच्चे।

यूपी के आगरा जिले में एक ऐसा विद्यालय हैं जहां बच्चे मौत के साये मे पड़ने के लिए मजबूर है। जर्जर भवन होने के बाद भी नौनिहालों को उन्हीं में बैठाकर शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है। देश का भविष्य मौत के घरों में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि भवन अभी जर्जर हुए है। यह भवन काफी वर्षो से जर्जर हैं, लेकिन इसके बाद मौत के घरों में बैठाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बताते चलें कि इस तरफ किसी भी बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला प्रशासन व सांसद विधायक का कोई ध्यान नहीं है। आगरा के उत्तरी विधानसभा के सौंठ कि मंडी स्थित श्री गोवर्धन दास विद्यालय का यह भवन काफी समय से जर्जर हैं। लेकिन अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग का इस तरफ कोई ध्यान नहीं गया है। भवन जर्जर होने के बाद भी नौनिहाल उन्हीं भवन में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। हालत यह हैं कि भवनों के लेंटर का सीमेंट हट गया है और उसकि सरिये नजर आ रही हैं। जो कभी भी गिर सकते है। विद्यालय मे लगभग तीन से चार कमरे बने हुए थे। जोकि इस समय सभी टूट चुके है। सिर्फ एक कमरा है जो इस समय ठीक है। लेकिन उसकी हालत भी बद से बदतर बनी हुई है। मासूम नौनिहाल मौत के साए मे अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे है। जिस कमरे मे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है उसी कमरे मे रसोई भी बनी हुई है। सिलेंडर पर उसी कमरे मे खाना बनाया जाता है। बरसात के मौसम मे पानी छत से टपकता है।तो बच्चों को एक किनारे कर दिया जाता है। लेकिन हैरत की बात यह हैं कि देश के भविष्य को मौत के घर मे पढ़ाया जा रहा है। न तो इस तरफ किसी सरकार के प्रतिनिधि का ध्यान जा रहा है न ही किसी अधिकारी का । विद्यालय को देखा गया तो भवन के लेंटर का सीमेंट हटा हुआ दिखाई दिया। लेंटर के सरिये साफ नजर आ रहे थे।वहीं विद्यालय कि शिक्षामित्र ने बताया कि वह बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठा कर पढ़ाती है। प्राथमिक विद्यालय का भवन खंडहर में तब्दील है। उनका साफ तौर से कहना है कि भवन की दीवार तो है लेकिन उन पर छत नहीं है। अगर बरसात होती है तो स्कूल कि छुट्टी कर दी जाती है। सर्दी के मौसम में भी बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ते है। इसके चलते बच्चे आए दिन बीमार होते रहते हैं। हालत यह हैं कि अगर बच्चों को शौचालय के लिए जाना होता है,तो वह अपने घर शौचालय के लिए जाते है। शिक्षकों को भी बराबर के घर में शौचालय के लिए जाना पड़ता है।
भले ही भवन की हालत जर्जर हो लेकिन इसके बाद भी जर्जर भवनों की हालत सुधारने के लिए अभी तक किसी भी सरकार ने व उनके प्रतिनिधि ने कोई प्रयास नहीं किया है। विद्यालय मे 30 बच्चे है। और 1 शिक्षा मित्र है। शिक्षा मित्र का कहना है कि विद्यालय कि हालत देख कर बच्चों के परिजन बच्चों को स्कुल पढ़ने तक नहीं भेजते है। क्योंकि विद्यालय मे बैठने कि कोई उचित व्यवस्था नहीं है। शौचालय भी टुटा हुआ है पानी पीने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते बच्चों के परिजन अपने बच्चों का प्रवेश कराने आते तो है लेकिन विद्यालय कि बद से बदतर स्थिति देख कर वह बिना प्रवेश कराएं अपने बच्चों को लेकर चले जाते है। आगरा के प्राथमिक विद्यालय की यह हालत है अब देखना होगा कि आखिर नींद मे सोये हुए अधिकारी, सरकार के प्रतिनिधि आखिर कब तक इस विद्यालय कि कायाकल्प कराते है यह तो आने वाला वक्त ही बताता है।

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